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मुखपृष्ठ : अभियान : नौसंचालन

गत अद्यतन: 1-Apr-2015

नौसंचालन

उपग्रह आधारित नौसंचालन प्रणाली, पूरे विश्व में प्रयोक्ताओं को स्थितीकरण, नौसंचालन तथा कालन (पी.एन.टी) सेवाएँ उपलब्ध कराने में अग्रणी के रूप में उभर कर आयी है। भारत ने अपने दो मुख्य परियोजनाएँ अर्थात् गगन (जी.पी.एस आधारित भू संवर्धित नौसंचालन) व आई.आर.एन.एस.एस (भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली) के साथ, उपग्रह नौसंचालन के क्षेत्र में प्रवेश किया है। गगन इसरो तथा भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण (ए.ए.आई) के सहभागित्व में नागरिक वैमानिकी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु जी.पी.एस विकासित, एक अंतरिक्ष आधारित संवर्धन है। आई.आर.एन.एस.एस, भारतीय क्षेत्र में प्रयोक्ताओं को पी.एन.टी सेवाओं को उपलब्ध कराते हुए भारत के स्वदेशी क्षेत्रीय नौसंचालन प्राणाली के विकास के लिए इसरो की गौरवपूर्ण पहल है।

गगन – जी.पी.एस आधारित जियो संवर्धित नौसंचालन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण, भारतीय वांतरिक्ष के लिए एक उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली के रूप में गगन परियोजना को कार्यान्वित कर रहे हैं। गगन का मुख्य उद्देश्य जीवन – सुरक्षा प्रयोगों के लिए एक प्रमाणयोग्य उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली को स्थापित करना है। गगन का कार्यात्मक निष्पादन तथा प्रचालनात्मक आवश्यकताएँ, अंतर्राष्ट्रीय मानकों में उल्लिखित विनिर्दिष्टताओं के अधीन है। प्रणाली में अन्य अंतर्राष्ट्रीय एस.बी.ए.एस प्रणालियाँ जैसे यू.एस – डब्ल्यू.ए.ए.एस, यूरोपियन- ई.जी.एन.ओ.एस तथा जापानी- एम.एस.ए.एस आदि के साथ अंतर – प्रचालनात्मकता होगी।

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आई.आर.एन.एस.एस – भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली

भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली (आई.आर.एन.एस.एस) परियोजना, जी.ई.ओ के तथा जी.एस.ओ अंतरिक्षयान तथा अत्याधुनिक भू प्रणालीयों के संयोजन का उपयोग करते हुए एक क्षेत्रीय नौसंचालनात्मक उपग्रह प्रणाली है। आई.आर.एन.एस.एस प्रणाली, भारत में तथा भारत के आर – पार करीब 1500 कि मी तक के क्षेत्र में सभी मौसम परिस्थितियों में 20 मी से बेहतर स्थिति यथार्थता के साथ हर समय नौसंचालन समाधान प्रदान करता है। आई.आर.एन.एस.एस, एल 5 तथा एस बैंड में द्वि आवृत्तियों पर प्रयोक्ताओं को मानक स्थितीकरण सेवा (एस.पी.एस) तथा निर्बन्धित सेवा (आर.एस) प्रदान करता है।

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