आई.आर.एन.एस.एस-भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली
भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली (आई.आर.एन.एस.एस) परियोजना, जी.ई.ओ तथा जी.एस.ओ अंतरिक्षयान के संयोजन और अत्याधुनिक भू-प्रणाली का उपयोग करते हुए एक क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली की स्थापना करने के लिए है। आई.आर.एन.एस.एस.प्रणाली, सभी मौसम की स्थिति के दौरान 20 मी. से भी उत्तम स्थिति यथार्थता के साथ, भारत में कहीं भी और भारत के आसपास करीब 1500 कि.मी. विस्तरित क्षेत्र में, नौसंचालनात्मक समाधान प्रदान करता है। आई.आर.एन.एस.एस. मानक स्थिरीकरण सेवा (एस.पी.एस.) तथा एल 5 तथा एस बैंड में द्वि आवृत्तियों पर प्रयोक्ताओं को प्रतिबंधित सेवा (आर.एस), प्रदान करता है।
आई.आर.एन.एस.एस.अंतरिक्ष खण्ड के पूर्व प्रचालनात्मक संरूपण में 7 उपग्रह (3 जी.ई.ओ तथा 4 जी.एस.ओ) हैं। उपलब्ध 3 जी.ई.ओ को 32.5o ई, 83o ई तथा 131o ई तथा 4 जी.एस.ओ का अपने रेखांश क्रॉसिंग 55o ई और 111.75o ई (हर तल में दो) हैं। आई.आर.एन.एस.एस.-1ए. अंतरिक्षयान, 1 जुलाई 2013 को प्रमोचित किया गया। इसके अनुसरण में 2014-16 वर्षों में आई.आर.एन.एस.एस.-1एफ. तक और 5 अंतरिक्षयानों का प्रमोचन किया गया। आई.आर.एन.एस.एस. उपग्रहों के प्रमोचन दिनांक निम्नलिखित सारणी में दर्शाए गए हैं। अंतरिक्ष खंड में 28 अप्रैल 2016 को प्रमोचित अंतिम उपग्रह आई.आर.एन.एस.एस.-1जी. सहित सात आई.आर.एन.एस.एस. उपग्रह सम्मिलित हैं। आई.आर.एन.एस.एस. उपग्रहों को I-1K बस के आसपास 600 कि ग्रा. शुष्क द्रव्यमान से तथा 1425 कि ग्रा. के लिफ्ट ऑफ द्रव्यमान से बनाया गया है। उसमें 1600 डब्ल्यू वाट ऊर्जा जनन की क्षमता है। पाश्ववर्तन परिचालन क्षमता के साथ, उपग्रह का तीन-अक्ष नियंत्रण, सौर पैनलों के इष्टतम उपयोग तथा उपग्रह का ऊष्मीय नियंत्रण मदद करने के लिए है। नौसंचालन नीतभार एल 5 व एस बैंडों में एस.पी.एस व आर.एस संकेतों को प्रसारित करती है। नौसंचालन संकेतों के जनन हेतु उच्च तुल्यकाली रूबिडियम परमाणु आवृत्ति मानक (आर.ए.एफ.एस) का ऑन-बोर्ड उपयोग किया जाता है। ![]() एनवीएस-02 29-जनवरी-2025 जीएसएलवी-एफ-15 ![]() एनवीएस-01 29-मई-2023 जीएसएलवी-एफ12 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1H 31-अगस्त-2017 पी.एस.एल.वी - सी39 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1G 28-अप्रैल-2016 पी.एस.एल.वी-सी33 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1F 10-मार्च-2016 पी.एस.एल.वी-सी32 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1E 20-जनवरी-2016 पी.एस.एल.वी-सी31 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1D 28-मार्च-2015 पी.एस.एल.वी-सी27 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1C 15-अक्तूबर-2014 पी.एस.एल.वी-सी26 ![]() आई.आर.एन. एस.एस.-1B 04-अप्रैल-2014 पी.एस.एल.वी-सी24 ![]() आई.आर.एन. एस.एस-1A 01-जुलाई-2013 पी.एस.एल.वी-सी22 भू खण्ड, आई.आर.एन.एस.एस.तारामंडल के अनुरक्षण तथा प्रचालन हेतु उत्तरदायी है। भू खण्ड में निम्न शामिल हैंः
ब्यालालू में स्थापित आई.एन.सी., भू-स्टेशनों के साथ सुदूर प्रचालन तथा आंकड़ा संग्रहण करता है। 10 आई.आर.एन.एस.एस., वर्तमान में प्रचालनात्मक हैं तथा आई.आर.एन.एस.एस.-1ए तथा आई.आर.एन.एस.एस.-1बी के प्रचालन में मदद कर रहे हैं। सी.डी.एम.ए. रेंजिन्ग को आई.आर.एन.एस.एस.-1ए और/बी दोनों उपग्रहों के लिए नेमी आधार पर चार आई.आर.सी.डी.आर द्वारा किया जा रहा है। आई.आर.एन.एस.डब्ल्यू.टी. की स्थापना की गई तथा वह यू.टू.सी के संदर्भ में 20ns (2σ) की स्पष्टता के साथ आई.आर.एन.एस.एस. प्रणाली समय उपलब्ध कर रहा है। लेसर रेंजिन्ग को, पूरे विश्व में आई.एल.आर.एस. स्टेशन के मदद के साथ किया जा रहा है। नौसंचालन सॉफ्टवेयर, अगस्त 1, 2013 से आई.एस.सी. पर नौसंचालन सॉफ्टवेयर प्रचालनात्मक हैं। सभी नौसंचालन पैरामीटर, अर्थात् उपग्रह पंचांग, घड़ी संशुद्धि, समग्रता पैरामीटर तथा द्वितीयक पैरामीटर अर्थात् आइनो-डिले संशोधन, यू.टी.सी. तथा अन्य जी.एन.एस.एस, के संदर्भ में समय ऑफसेट, अलमनाक, टेक्स्ट संदेशों तथा भू-अभिमुखीकरण पैरामीटर को तैयार किया जा रहा है तथा अपनेआप आई.आर.एन.एस.एस–1ए तथा 1बी दोनों के लिए अपलिंक किया जा रहा है। आई.आर.सी.डी.एन ने भू-स्टेशनों के बीच स्थलीय तथा बी सैट कड़ियों को स्थापित किया है।आई.आर.एस.सी.एफ के दो 7.2 मीटर एफ.सी.ए तथा एक 11मी एफ.एम.ए, आई.आर.एन.एस.एस.-1ए और आई.आर.एन.एस.एस.-1बी के कक्षा पर चरण के एल.ई.ओ.पी. तथा आई.आर.एन.एस.एस.-1ए तथा आई.आर.एन.एस.एस.-1बी में वर्तमान में प्रचालनात्मक हैं। प्रयोक्ता खण्ड प्रयोक्ता खण्ड में मुख्यत:
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