मुखपृष्ठ : विज्ञान उन्नयन : उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस
गत अद्यतन: 24-Feb-2019
उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस
19 अप्रैल 1975 भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक दिवस है। इस दिन भारतीय प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट ’ का सफलतापूर्वक प्रमोचन हुआ, जो उपग्रह प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अग्रणी बना। इस घटना की स्मृति में वर्ष 2000 से हर वर्ष 19 अप्रैल को उपग्रह प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हो रही विविध उपलब्धियों को दर्शाते हुए प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है।उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस-2016:
|
|
|
भारत का प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट के प्रमोचन के वार्षिकोत्सव के स्मरण में 25 अप्रैल 2016 को यू.आर.राव उपग्रह केंद्र (जिसे पहले इसरो उपग्रह केंद्र (आईज़ेक) के नाम से जाना जाता था), बेंगलूरु में उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया। इस समारोह में आर्यभट्ट पर व्याख्यान एवं एक तकनीकी संगोष्ठी के साथ-साथ अंतरिक्षयान प्रणाली हार्डवेयर के पोस्टर एवं मॉडलो की प्रदर्शनी सम्मिलित थीं।
श्री एस.के. शर्मा, अध्यक्ष व प्रबंधन निदेशक, भारत इलेक्ट्रॉनिकी लिमिटेड, बेंगलूरु, के विख्यात मुख्य अतिथि द्वारा आर्यभट्ट पर व्याख्यान दिया गया। अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकी से संबंधित विकासों पर इसरो के सभी केन्द्रों से लेख आमंत्रित करते हुए पत्र जारी किया गया। इस आमंत्रण के लिए इसरो समुदाय द्वारा उच्च उत्साहपूर्ण प्रत्युत्तर मिला तथा लगभग पचास लेख प्राप्त हुए। अतिसावधानी से चयनित संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा लेखों का मूल्यांकन सख्ती से किया गया। उपग्रह प्रौद्योगिकी दिवस - 2016 संगोष्ठी के दौरान प्रस्तुतीकरण के लिए निम्नलिखित छह उत्कृष्ट लेखों का चयन किया गया ः
- इन्सैट-3डी के प्रतिबिंबक नीतभार के लिए SWईऱ् बैण्ड कैमरा इलेक्ट्रॉनिक्स की प्राप्ति में चुनौतियाँ
- उपग्रहों में सौर सेल बॉण्डिंग के लिए नवीन ऱ्ठ्V सिलिकोन आसंजक
- सौर पैनल यांत्रिकी के लिए स्नबर की असफलता व अभिकल्प संशोधन का आधार विश्लेषण
- भू-तुल्यकाली अंतरिक्षयान के सौर व्यूह पावर जनन सहित अनुक्रमी स्विचन पार्श्व नियामक (S3ऱ्) का अनुमान - अपरिशुद्धताओं को कम करने के प्रति एक पहुँच
- उपग्रह दूरादेश अभिग्राही आधारित संश्लेषक का अभिकल्प एवं विकास
- अंतरिक्ष अनुप्रयोग के लिए द्वि धौंकनी पंप का विकास
चयनित लेखों ने अंतरिक्षयान प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में चालू अभिकल्प एवं विकास की जानकारी दी। चयनित लेखों के लेखकों को इस समारोह के अवसर पर एक स्मृति चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।