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मुखपृष्ठ : अभियान : नौसंचालन : गगन – जी.ई.ओ संवर्धित नौसंचालन आधारित जी.पी.एस

गत अद्यतन: 21-Apr-2016

गगन – जी.ई.ओ संवर्धित नौसंचालन आधारित जी.पी.एस

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा भारतीय एयरपोर्ट प्राधिकरण (ए.ए.आई), द्वारा भारतीय वायु क्षेत्र के लिए गगन परियोजना को एक उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली के रूप में कार्यान्वयन कर रहे हैं। गगन का मुख्य उद्देश्य है जीवन – सुरक्षा उपयोग हेतु एक प्रमाणयोग्य उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली की स्थापना करना। गगन का क्रियात्मक निष्पादन तथा प्रचालनात्मक आवश्यकताएँ, अंतर्राष्ट्रीय मानक में उल्लिखित विनिर्दिष्टताओं के अनुसार होगा। यूरोपियन ई.जी.एन.ओ.एस तथा जापानी एम.एस.ए.एस आदि अंतर्राष्ट्रीय एस.बी.ए.एस प्रणालियों जैसे यू एस-वास के साथ अंतर – प्रचालनात्मक होगी।

गगन का अंतिम प्रणाली स्वीकृति परीक्षण (एफ.एस.ए.टी) 16-17 जुलाई 2012 को पूर्ण किया गया। आगे, जीसैट-8 उपग्रह – गगन नीतभार को भारतीय भू ऊर्ध्व कडी स्टेशन-1 (आई.एन.एल.यू.एस) बेंगलूरु के साथ समाकलित किया गया तथा दिसंबर 15, 2011 से गगन एस.आई.एस (अंतरिक्ष में सिगनल) उपलब्ध है। जीसैट-10 उपग्रह को भारतीय ऊर्ध्वकडी स्टेशन-2, बेंगलूरु के साथ समाकलित किया गया तथा दूसरा गगन एस.आई.एस, अप्रैल 2013 से उपलब्ध है। बैकअप दिल्ली आई.एन.एल.यू.एस भी मार्च 2013 से प्रचालन में है तथा जीसैट-8 के साथ समेकित है।

गगन के मुख्य घटक हैं: 15 भारतीय निर्देश स्टेशन (आई.एस.एम.एस.एस)

  • 2 भारतीय मुख्य नियंत्रण केन्द्र (आई.एस.एम.सी.सी)
  • 3 भारतीय भू ऊर्ध्वकडी स्टेशन (आई.एन.एल.यू.एस)
  • 4 नेटवर्क कडियाँ (ओ.एफ.सी. व वी सैट)
  • 3 गगन नीतभारों के साथ जी.ई.ओ. उपग्रह
अंतरिक्ष खण्ड, भू खण्ड तथा प्रयोक्ता खण्ड समाहित गगन एफ ओ पी के संरूपण को नीचे दर्शाया गया है।

जून – जुलाई 2013 के दौरान प्रणाली स्थिरता परीक्षण के सफलतापूर्वक समापन ने सिविल वैमानिकी आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु गगन प्रणाली का प्रमाणन किया। स्थिरता प्रमाणन का उद्देश्य वैमानिकी उपयोग हेतु समग्रता, परिशुद्दता, निरंतरता तथा उपलब्धता पर उपग्रह संकेतों तथा भू आधारित प्रणाली का उपयोग करते हुए प्रणाली निष्पादन तथा समेकित सक्रिय वातावरण में उसके क्रांतिक पैरामीटर का मूल्यांकन करना था।

भारत, यू.एस.ए, यूरोप तथा जापान के बाद चौथा ऐसा देश है जिसने भारत तथा आसपास के क्षेत्रों पर, नौसंचालन को पुनःनिरूपण करनेवाले क्षेत्रीय एस.बी.ए.एस को स्थापित करने की चुनौती ली है। गगन का पदचिह्न भारतीय सीमा के बाहर, आफ्रिका से आस्ट्रेलिया तक के बहुत बडे क्षेत्र को कवर करेगा जिससे विश्व के ऊपर सीवनहीन नौसंचालन मे मदद मिलेगी।

गगन विश्व में आई.ओ.एन.ओ आल्गोरिदम युक्त (आई.जी.एम-एम.एल.डी.एफः इसरो जी.आई.वी.ई मॉडल-बहु-परत आंकडा संलयन) आईजेक द्वारा विक्रेता के सहयोग से अभिकल्पित और विकसित भू-मध्य असंगति क्षेत्र की सेवा के लिए प्रथम प्रमाणित प्रणाली होगी।

गगन सेवा विस्तार के तहत सभी योग्य एयरपोर्टों के लिए, गंतव्य तक पहुँचने के सभी चरणों के लिए जी.पी.एस पर प्रयोक्ताओं को निर्भर होने के लिए गगन को आवश्यक अतिरिक्त विशुद्धता, उपलब्धता व अखण्डता को उपलब्ध कराने हेतु अभिकल्पित किया गया है।

गगन, एक समान और उच्च-गुणता हवाई यातायात प्रबंधन (ए.टी.एम) हेतु स्थान रिपोर्टिंग में ज्यादा स्पष्ता की क्षमता भी उपलब्ध करेगा। इसके अतिरिक्त, गगन, समुद्रीय, हाई-वे, रेल रोड के सहित परिवहन के सभी विधाओं और रक्षा सेवाएँ, सुरक्षा एजेन्सियाँ, टेलिकॉम औद्योगिकी और स्थान निर्धारण प्रयोग के वैयक्तिक प्रयोक्ताओं को वैमानिकी के अतिरिक्त सेवा भी उपलब्ध करेगा।

भारतीय एफ.आई.आर (उडान सूचना क्षेत्र) के ऊपर आर.एन.पी – 0.1 के एन.पी.ए (अपरिशुद्ध उपगमन) सेवाओं को उपलब्ध कराने हेतु डी.जी.सी.ए द्वारा गगन, जीवन प्रणाली की सुरक्षा का अनंतिम रूप से प्रमाणन किया गया है। इसे आगामी महीनों में भारतीय भू भाग के ऊपर ए.पी.वी-1.0/1.5 के पी.ए सेवा हेतु प्रमाणित किया जाएगा।