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मुखपृष्ठ : हमारे बारे में : निदेशक : भूतपूर्व निदेशक : डॉ. टी.के अलेक्स

गत अद्यतन: 1-Apr-2015

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डॉ. टी.के अलेक्स

[अवधि : 2008-2012]

डॉ. टी.के अलेक्स जून 2008 से जून 2012 तक यू.आर.एस.सी. के निदेशक थे। निदेशक पद में रहते हुए उन्होंने कई सफलतम अभियान जिसमें चन्द्रयान-1, भारत का प्रथम चन्द्र अभियान को सफलतापूर्वक पूर्ण किया।

डॉ. अलेक्स ने सभी भारतीय उपग्रहों जिसमें भारत का प्रथम उपग्रह आर्यभट्ट भी शामिल है के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे केरल विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्वर्ण पदक धारी हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, चैन्नई से इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की और भारतीय विज्ञान संस्था, बेंगलूरु से वांतरिक्ष इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की ।

डॉ. अलेक्स ने अपने कार्यकाल की शुरुआत इसरो में 1971 में इलेक्ट्रीकल इंजीनियर के रुप में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, तिरुवनंतपुरम में की और बाद में यू.आर.एस.सी. में कार्यग्रहण किया। यू.आर.एस.सी. में उन्होंने स्मार्ट कैमरा (रोहिणी आर.एस.-डी-2 उपग्रह) के विकास, इण्डो-सोवियत संयुक्त समानव अंतरिक्ष उड़ान और भारतीय सूदूर संवेदी उपग्रह के दौरान सुदूर संवेदी परीक्षा में विशेष योगदान दिया । डॉ. अलेक्स के नेतृत्व में इसरो के इलेक्ट्रो प्रकाशिकी तंत्र प्रयोगशाला (लियोस), बेंगलूरु की स्थापना 1993 में हुई और आरंभ से 2008 तक वे निदेशक पद पर रहे। लियोस के निदेशक के कार्यकाल में वे भारतीय उपग्रहों के लिए इलेक्ट्रो प्रकाशिकी संवेदकों और भारतीय सुदूर संवेदी उपग्रहों के लिए उच्च विभेदन कैमरा प्रकाशिकी के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया । जुलाई 2012 से वे इसरो मुख्यालय में “डॉ. विक्रम साराभाई विशिष्ट प्रोफेसर” हैं।

वे भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी (आई.एन.ए.ई.) राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत (एन.ए.एस.आई.) और इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियरिंग संस्थान, भारत (आई.ई.टी.ई.) के फैलो हैं और ए.एस.आई. और भारतीय यंत्र सोसाईटी के आजीवन सदस्य हैं। वे भारतीय प्रकाशिक सोसाईटी के फैलो हैं और 2010 से 2011 तक उसके अध्यक्ष थे।

डॉ. अलेक्स को विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदानों के लिए कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। अलेक्स को 2007 में पद्मश्री और भारत के प्रथम उपग्रहों में योगदान के लिए 2008 में अतिविशिष्ट उपलब्धि पुरस्कार दिया गया। अन्य पुरस्कारों में अवरक्त संवेदकों के विकास के लिए आई.एम.डी.ए. पुरस्कार और हरि ओम आश्रम विक्रम साराभाई पुरस्कार (1987) दिया गया।