मुखपृष्ठ : हमारे बारे में : निदेशक : श्रि एम. शंकरन,
गत अद्यतन: 14-Oct-2025
श्रि एम. शंकरन | [अवधि : 2021 से आगे] |
उत्कृष्ट वैज्ञानिक एवं निदेशक
यू.आर. राव उपग्रह केंद्र, इसरो, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार, बेंगलुरु, कर्नाटक
श्री एम. शंकरन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक हैं। उन्होंने 01 जून, 2021 को इसरो के सभी उपग्रहों के डिज़ाइन, विकास और निर्माण हेतु देश के अग्रणी केंद्र, यू आर राव उपग्रह केंद्र (यू आर एस सी) के निदेशक का पदभार ग्रहण किया। वे वर्तमान में संचार, नौवहन, सुदूर संवेदन, मौसम विज्ञान और अंतर-ग्रहीय अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु विभिन्न प्रकार के उपग्रहों के निर्माण हेतु उपग्रह बिरादरी का नेतृत्व कर रहे हैं।
1986 में भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे इसरो उपग्रह केंद्र (आई एस एसी) में शामिल हो गए, जिसे वर्तमान में यू आर राव उपग्रह केंद्र (यू आर एस सी) के रूप में जाना जाता है।
यूआरएससी के निदेशक का पदभार ग्रहण करने से पहले, वे यूआरएससी में संचार एवं विद्युत प्रणाली क्षेत्र के उप निदेशक के रूप में कार्यरत थे और विकास कार्यों का नेतृत्व कर रहे थे। यूआरएससी/इसरो में 120 से अधिक उपग्रहों पर कार्य करने के अपने 37 वर्षों के समृद्ध अनुभव और विशेषज्ञता के दौरान, उन्होंने मुख्य रूप से सौर सरणियों, विद्युत प्रणालियों, उपग्रह स्थिति निर्धारण प्रणाली और निम्न पृथ्वी कक्षा (लियो) उपग्रहों, भूस्थिर उपग्रहों, नौवहन उपग्रहों और चंद्र मिशन, मंगल कक्षीय मिशन (एम ओ एम), एस्ट्रोसैट और अनुवर्ती मिशनों जैसे अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों के लिए आरएफ संचार प्रणालियों के क्षेत्रों में योगदान दिया है।
उन्होंने इसरो उपग्रहों के लिए 70V बस के सफल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चंद्रयान-1 और 2, मार्स ऑर्बिटर मिशन, एस्ट्रोसैट आदि जैसे अंतरग्रहीय मिशनों के लिए बिजली उत्पादन और वितरण प्रणालियों के लिए अद्वितीय डिजाइन तैयार किया। उन्होंने देश में सौर पैनलों, बैटरी प्रणालियों आदि के निर्माण और परीक्षण के लिए उद्योगों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने केंद्र को नई तकनीकी विकास को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई और सूर्य और एक्सपोसैट पोलारिमेट्री मिशन के बारे में अध्ययन करने वाला भारत का पहला वैज्ञानिक मिशन आदित्य-एल1 संभव हुआ। उन्होंने ईओएस-08 (माइक्रोसैट-2सी) मिशन में उन्नत अनुसंधान एवं विकास के प्रदर्शन, अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) में यू आर एस सी टीम का नेतृत्व किया जो भावी चुनौतीपूर्ण मिशन तथा इंडो-यूस संयुक्त विकास निसार मिशन में अग्रणी होने का कार्य करेगा।
निदेशक के रूप में, वे मानव अंतरिक्ष उड़ान-गगनयान, चंद्रयान अनुवर्ती मिशन-चंद्र नमूना वापसी मिशन और चंद्रमा पर मानवयुक्त लैंडिंग, मंगल लैंडिंग मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उन्नत तकनीकों जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित अंतरिक्ष मिशनों के लिए केंद्र का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में, उपग्रह केंद्र ने चंद्रयान-3 लैंडर की खगोलीय उपलब्धि को त्रुटिहीन रूप से पूरा किया।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट लैंडिंग और अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग ने इसरो और राष्ट्र को गौरवान्वित किया तथा वैश्विक मंच पर केंद्र की उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया।
उन्होंने तकनीकी और वैज्ञानिक सम्मेलनों के अंतर्गत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विभिन्न व्याख्यान और वार्ताएँ दी हैं। वे अंतरिक्ष विज्ञान और स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छात्र समुदाय को प्रेरित करते हैं।
उन्हें वर्ष 2027 के लिए इसरो के कार्य-निष्पादन उत्कृष्टता पुरस्कार, वर्ष 2018 के लिए इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार और वर्ष 2023 के लिए ए एस आई-आर्यभट्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सहकर्मी समीक्षित पत्रिकाओं और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में लगभग 50 प्रकाशनों का श्रेय उन्हें जाता है।
श्री एम. शंकरन इंडियन सोसाइटी ऑफ सिस्टम्स फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग (आई एस एस ई) के सदस्य/फेलो हैं, साथ ही इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स (आई ई टी ई), इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स आई ई ई ई और एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ए एस आई) के फेलो भी हैं।







